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सम्राट अशोक की जयंती पर निकली भव्य शोभा यात्रा

 

फोटो : जयंती समारोह का उद्घाटन करते अतिथि ।

 

जयंती समारोह में वक्ताओं ने कहा कि सम्राट अशोक विश्व के महानतम सम्राटों में से एक थे

अंगद कुमार सिंह । समस्तीपुर

दलसिंहसराय :दलसिंहसराय में शनिवार 5 अप्रैल को कुशवाहा विकास सेवा समिति के तत्वावधान में सम्राट अशोक महान की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत अंबेडकर सब्जी मंडी बाजार समिति से भव्य शोभा यात्रा के साथ हुई। यात्रा पूरे शहर में निकाली गई। इसके बाद शिव सेवा सदन कैंपस में समारोह आयोजित हुआ।

 

समारोह की अध्यक्षता प्रमोद कुमार सिंह ने की। संचालन लक्ष्मी नारायण महतो ने किया। समिति के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. ब्रह्मदेव कुशवाहा ने सभी आगंतुकों का आभार जताया। समाजसेवी डॉ. रामसेवक प्रसाद ने बाइक से शोभा यात्रा का नेतृत्व किया। उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के साथ डॉ. राजकुमार कुशवाहा को अगुवाई सौंपी।

 

डॉ. राजकुमार कुशवाहा ने कहा कि सम्राट अशोक विश्व के महानतम सम्राटों में से एक थे। उनका शासन काल ईसा पूर्व 272 से 232 तक रहा। वे अखंड भारत के निर्माता थे। आज भी कई देश उनकी शासन प्रणाली को अपनाते हैं। वे सत्य, अहिंसा, प्रेम, सहिष्णुता, शांति और शाकाहारी जीवन के पक्षधर थे। कलिंग युद्ध के बाद उन्होंने धर्म और सामाजिक प्रगति को अपनाया।

 

पाड़ पंचायत के मुखिया प्रमोद कुमार सिंह ने अपने पंचायत में सम्राट अशोक की विशाल प्रतिमा लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मौर्य वंश के सम्राट अशोक भारत के इतिहास के सबसे शक्तिशाली और चक्रवर्ती सम्राटों में से एक थे। उन्हें देवानाम्प्रिय और प्रियदर्शी के नाम से भी जाना जाता है। वे भोग-विलास से दूर रहकर पराक्रम में लगे रहते थे। उन्होंने उत्तर भारत से लेकर दक्षिण के मैसूर, कर्नाटक, बंगाल और अफगानिस्तान तक विजय पताका फहराई।

 

समारोह में सुखदेव महतो, पुंज कुमार, सुधीर कुमार कुशवाहा, डॉ. डी. एन. सिंह, श्याम कुमार, राणा कुमार, डॉ. रामशरण सिंह, मोहन कुमार मौर्य, प्रभात कुमार, चंद्रमणि कुमार, महेश्वर सिंह, पल्लव कुमार, रूपक कौशल, महेंद्र कुमार, डॉ. गोपाल कृष्ण, प्रोफेसर पी. के. झा, प्रेम इंजीनियर, अमित अभिषेक सहित कई वक्ताओं ने सम्राट अशोक के जीवन पर प्रकाश डाला।

 

वक्ताओं ने बताया कि सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में हुआ था। वे सम्राट बिंदुसार के पुत्र और मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। चंद्रगुप्त मौर्य के समान वे भी शक्तिशाली सम्राट थे। उन्होंने पूरे भारतवर्ष पर एकछत्र शासन किया। उनके द्वारा निर्मित अशोक चिन्ह आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध के बाद सबसे बड़ा स्थान सम्राट अशोक

को दिया गया है।

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